Thursday, April 14, 2011

भारतीय विदेश सेवा में भविष्य उज्जवल बनाए


सबसे पहली बात, कूटनीति हर दूसरे काम से अलग है। कूटनीतिज्ञ अच्छा वेतन पाते हैं, देश-विदेश घूमते हैं, दूसरे देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत करते हैं, अंतरराष्ट्रीय मंच पर राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और उन्हें ऐसी सुविधाएं हासिल होती हैं जो दूसरों के लिए सपना होती हैं। भारत में कूटनीतिज्ञ भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी होते हैं।

क्या है भारतीय विदेश सेवा

भारतीय विदेश सेवा का संबंध देश के विदेशी मामलों से है, जिसमें कूटनीति, व्यावसायिक-सांस्कृतिक संबंध जैसे विषय शामिल हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा की तरह विदेश सेवा के अधिकारी भी नीति निर्माण और उनके क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार होते हैं। ये नीतियां ही दूसरे देशों के साथ भारत के संबंधों का स्वरूप निर्धारित करती हैं।

व्यक्तिगत योग्यता

आपको सरकार की ओर से अलग-अलग देशों में भेजा जा सकता है, इसके लिए मानसिक रूप से तैयार रहें। आप सामने वाले को नाराज किए बगैर अपना पक्ष रखने में सक्षम हों, यह बहुत जरूरी है। फिर, अलग-अलग संस्कृतियों के लोगों के साथ कैसे रहा जा सकता है, इसका ज्ञान होना भी जरूरी है।

शैक्षिक योग्यता

भारतीय प्रशासनिक सेवा (विदेश सेवा इसी का एक अंग है) की परीक्षा में वही छात्र शामिल हो सकते हैं, जिन्होंने किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया है और 21-28 साल की उम्र के हों।

प्रवेश की प्रक्रिया

भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए संघ लोक सेवा आयोग हर साल तीन चरणों में एक प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करता है। प्रारंभिक परीक्षा, फिर मुख्य परीक्षा और इसके बाद इंटरव्यू। इस चक्र को पूरा होने में लगभग एक साल का समय लगता है।

परीक्षा का प्रारूप

प्रारंभिक परीक्षा में 200 अंक के बहुविकल्पीय प्रश्नों वाले दो पेपर होते हैं। मुख्य परीक्षा में आठ पेपर होते हैं, जो व्याख्यात्मक होते हैं। इनमें से दो पेपर लैंग्वेज के होते हैं, दो पेपर सामान्य ज्ञान के होते हैं, बाकी चार पेपर में से दो ऐच्छिक विषयों के होते हैं। मुख्य परीक्षा के बाद इंटरव्यू में कामयाबी हासिल करने के बाद अभ्यर्थियों को उनके रैंक के आधार पर अलग-अलग सेवाएं आवंटित की जाती हैं।

काम का स्वरूप

ट्रेनिंग की समाप्ति के बाद अभ्यर्थियों को मंत्रालय में किसी देश-विदेश से संबंधित मामले देखने को कहा जाता है। इसके बाद उन्हें उसी देश में भारतीय दूतावास में थर्ड सेक्रेट्री के पद पर तैनात किया जाता है। भारत में रहे तो वे विदेश मंत्रालय या पासपोर्ट ऑफिस जैसी इसकी संबद्ध इकाइयों में तैनात किए जाते हैं।

ट्रेनिंग

ट्रेनिंग की समाप्ति के बाद विदेश सेवा के अधिकारियों को एक अनिवार्य विदेशी भाषा आवंटित की जाती है। इसके बाद उन्हें ऐसे देशों में भारतीय दूतावासों में भेजा जाता है, जहां वह भाषा बोली जाती है। वहां उन्हें संबद्ध भाषा का विस्तृत प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे इसमें पूरी तरह पारंगत हो सकें। एक निश्चित समय के बाद उनके भाषा ज्ञान की एक परीक्षा ली जाती है, इसमें सफल होकर ही वे सेवा में आगे बने रह सकते हैं।

पारिश्रमिक

भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों का शुरुआती सालाना वेतन 1.9 लाख रुपए के करीब होता है। इसके अलावा विदेशों में तैनात होने पर उन्हें कई आकर्षक सुविधाएं मिलती हैं। इन सबसे ज्यादा राजनयिक होने की एक अलग ही प्रतिष्ठा है, जो किसी भी कमाई से बढ़कर है।

विदेश सेवा अधिकारियों के पद

दूतावास में

थर्ड सेक्रेट्री, सेकंड सेक्रेट्री, फस्र्ट सेक्रेट्री, काउंसलर, मिनिस्टर, डिप्टी चीफ ऑफ मिशन/डिप्टी हाई कमिश्नर/डिप्टी परमानेंट रिप्रेजेंटेटिव एम्बेसडर/हाई कमिश्नर/परमानेंट रिप्रेजेंटेटिव कॉन्सुलेट में वाइस कॉन्सुल, कॉन्सुल, कॉन्सुल जनरल विदेश मंत्रालय में अंडर सेक्रेट्री, डिप्टी सेक्रेट्री, डायरेक्टर, जॉइंट सेक्रेट्री, एडिशनल सेक्रेट्री, सेक्रेट्री पदों की सूची वरिष्ठता के आधार पर दी गई है।

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